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सबसे बड़ा इमानदार


भारत का इतिहास इमानदार राजाओ से भरा है |सभी अपने अपने तरीके के इमानदार थे |कोई वचन से इमानदार थे तो कोई कर्म से इमानदार थे |लेकिन आजकल भारत में हर कोई इमानदार बनने की कोशिश में लगा है लेकिन इमानदार बनना कोई बच्चो का खेल थोड़े ही है जो हर कोई इमानदार बन जायेगा |यह तो बहुत बड़ी बात है |आदमी तो आदमी राजनितिक पार्टी भी में भी इमानदार बन्ने की होड़ लगी है |कांग्रेस अपने आप को सबसे बड़ी इमानदार पार्टी बता रही है तो एक तरफ भाजपा |लेकिन कोई अपने गिरेबान में नहीं देखता है की उसके पार्टी में कितने घोटालेबाज है उसने किन किन घोटालेबाज को शरण दे रखी है |कांग्रेस जो इस देश की सबसे बड़ी राजनितिक पार्टी है वह घोटालेबाजो  से भरी  हुई पार्टी है|एसा नहीं है की वह सिर्फ घोटालेबाजो को शरण देती है बल्कि वह जिसे मह्वात्पूर्ण पद सोपती है वही घोटाले करने में मग्न हो जाता है |पद पाने के बाद घोटाले करना ही उसके लिए रह जाता है |सिर्फ  घोटाला करो और माल बनाओ और जाकर स्विस बैंक में भविष्य के लिए सुरिक्षत कर दो |इस पार्टी में घोटालेबाजो की संख्या अधिक होने का कारन है की वह समझता है की घोटाले के बाद हम तो साफ साफ बच जायेंगे ज्यादा होगा तो पद जायेगा लेकिन माल तो बन जायेगा |उदहारण के लिए ------------
1.सबसे पहले रास्त्र मंडल खेल में अशोक कलमाड़ी ने कई अरब रूपये बनाये जाया क्या सिर्फ एक मामूली पद |मामला ठंडा बस्तेमें डाल दिया गया और उस पर एक जांच बिठा दी गयी जो शायद अपना रिपोर्ट देने में कई साल लगा देगी |
2.2 जी स्पेक्ट्रुम घोटाले में दूरसंचार मंत्री ए.राजा ने भी लगभग कई करोड़ रूपये का सरकार को चूना लगाया |क्या गया सिर्फ मंत्री पद और मामला उच्च न्यायलय में है |इस मामले में भी असली मुर्गी को बचाने का तैयारी में कांग्रेस सरकार लग गयी  है |  इस दोनों मामलो को लेकर संसद के दोनों सदन कई दिन से चल नहीं पा रहे है |जनता का करोडो रूपये रोज पानी की तरह सदन की कार्यवाही पर बह रहा है लेकिन संसद सदन चलने ही नहीं दे रहे है |इनकी मांग दोनों मामलो की जांच संयुक्त संसदीय सिमिति करे लेकिन सरकार मान ही नहीं है क्योकि उसमे घोटाले के उजागर  होने का डर है |
3.मुंबई आदर्श सोसाइटी घोटाला ---महारास्त्र के मुख्यमंत्री अशोक चाहवान ने सात मंजली बनने वाली ईमारत को ३१ मंजली बना दिया और उसके फ्लैट अधिकारियो को आवंटित कर दिए जो की सनिक की विधवाओ के लिए बना था |इस मामले में भी कांग्रेस ने असोक को हटाकर कह रह है की हमने बहुत बड़ा पहाड़ तोड़ दिया और मामला ठन्डे बस्ते में चला गया दीखता है |
                                                              इधर भाजपा शासित कर्नाटक में मुख्यमंत्री येदुरप्पा ने भी महंगी जमीन अपने परिवार वालो के नाम करवा दी |इस तरह से भारत की दो महत्वपूर्ण पार्टियो में अपने आप को घोटाले में लिप्त होने के बाबजूद इमानदार सिद्ध करने की होड़ मची है जो सही नहीं है |

भारत और भ्रष्टाचार

भारत दुनिया का वह देश है जिसका इतिहास बहुत पुराना है | भारत में पुराने समय के शासक एक स्वच्छ शासन देते थे| भ्रष्टाचार नहीं के बराबर होता था |लेकिन आज के शासक सिर्फ भ्रष्टाचार देते है|
                                        भ्रष्टाचार का मतलब भ्रष्ट आचरण होता है लेकिन आजकल सिर्फ भ्रष्ट आचरण ही नहीं है पूरा का पूरा आदमी ही भ्रष्ट है | ऊपर से नीचे तक सब जगह भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है| मंत्री से लेकर संतरी तक अफसर से लेकर चपरासी तक सब के सब भ्रष्ट है|
                                                                     हमारे माननीय पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा जी आपनी सरकार को ही खरबो रुपयों का चूना लगा दिया अपनी जेब भरने के लिए |उन्होंने 2 जी स्पेक्ट्रुम बिक्री में काफी माल कमाया,जेब भरा और बैंक बैलेंस भी बढ़ाया |इस मामले में प्रधानमंत्री पर भी तोहमत लगी |
                                                                  दूसरा मामला भ्रष्टमंडल  खेल यानि रास्त्रमंडल खेल का है जिसमे माननीय सुरेश कलमाड़ी जी ने काफी माल कमाया |दोना अभी शान से घूम रहे है | एक दिन ऐसा आएगा जब इस देश में सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार ही होगा |भ्रष्टाचार एक भस्मासुर बन जायगा और पूरे भारत को नष्ट कर देगा |यह भ्रष्टाचार अंग्रेज़ों की दें है जिसने इसका बीजारोपण किया उदहारण के लिए पलासी का युद्ध जिसमे अंग्रेज़ों ने पैसो के बल पर शासको को खरीद लिया था |आज गृह मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग में भी भ्रष्टाचार अपनी पूरी जड़ फैलाये हुए है|अफसर पैसे लेकर गोपनीय सुचनाये बेच रहे है |कुछ महीने पहले पाकिस्तान में भारत के लिए जासूसी करने वाले एक बड़े भारतीय अफसर जो की महिला है को गिरफ्तार किया गया था |भारत में सबसे ज्यादा भ्रष्ट तो नेता है |इन नेताओ का पैसा सबसे सुरक्षित जगह यानि की स्विश बैंक में जमा है |वर्तमान केंद्र सरकार भ्रष्टाचार में शायद अपने मंत्रियो को काफी सहयोग करती है तभी तो रास्त्रमंडल खेलो में अरबो डकारने के बाबजूद कलमाड़ी छुट्टे घूम रहे है ए.राजा को सिर्फ अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा|
                                                                              इस देश में भ्रष्ट नेताओ ने कानून का मखोल बना दिया है इतनी दकारती है फिर भी मुछ पर ताव देकर घुमती है| पुलिस तो कुछ कर नहीं सकती है क्योंकि  इन नेताओ के पास पैसा है सरकार की ताकत है |पुलिस तो उसकी है जिसकी सरकार है | कानून तो उनके लिए है जो गरीब है जिसका कोई राजनितिक प्रभाव नहीं है |इन नेताओ को बीच सड़क पर लटका कर फंसी दे देनी चाहिए |बिना दो-चार को फंसी दिए कोई काम नहीं होने वाला है |एक दिन के संसद के कार्यवाही में करोड़ो रूपये खर्च होते है जबकि कई दिन तक संसद सिर्फ हो हल्ले में समाप्त हो जाती है|ये इस्तीफा दे इनके विरुद्ध जांच बइठे|इस तरह का कुछ नहीं होना चाहिए सीधे जिस मंत्रालय में घोटाला हो मंत्री अफसर को पकड़ कर या तो जेल में डाल दो या फिर बीच चौराहे पर गोली मार दे |ऐसा शायद नहीं हो सकता क्योंको यह कानून भी इन्ही हरामी नेता ही बनाते है |



                                     "यह काम एक दिन जनता करेंगी |"
                                                                                                                                                                                                 

शिक्षा और शिक्षा मंत्री जी

हमारी वर्तमान शिक्षा को अच्छा  से अच्छा बनाने की कोशिश हो रही है लेकिन शायद पुराने समय की शिक्षा ही अच्छी थी क्योकि उस समय शिक्षा को लाकर इतना तनाव छात्रों में नहीं रहता था |वर्तमान समय में पढ़ाई को लेकर छात्र इतने परेशान रहते है की वह पढाई पर जितना ध्यान देते है उससे कही ज्यादा ध्यान उसका पाठयक्रम में होने वाले बदलाव पर रहता है |
                                                         मैं एक शिक्षक होने  के नाते इसको अच्छी तरह से समझ सकता हूँ की छात्र पाठ्यक्रम को लाकर कितना परेशान रहते है |वह पढ़ाई पर कम ध्यान दे पते है जबकि इन्टरनेट पर बैठ कर पाठ्यक्रम की जानकारी ज्यादा लेते है |
                                                             सी.बी. एस. ई. पाठ्यक्रम में इस बदलाव के लिए पूरी तरह से हमारे शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल जी पूर्णरूप से जिम्मेदार है जिन्होंने छात्र पर पढ़ाई का बोझ कम करने के बजाय बढ़ा ही दिया है |उन्होंने परीक्षा के स्वरूप में जो बदलाव किये है उससे छात्र पढ़ाई के बजाय स्कूल राजनीती में ज्यादा भाग लेने लगे है और स्कूल को भी छात्र की पढ़ाई का ध्यान कम और अपना मान बढ़ाने में ज्यादा रूचि हो गयी है | उदहारण  के लिए वर्ग नवम एवं दशम के परीक्षा में किये गए बदलाव के अनुसार बोर्ड  परीक्षा में केवल आधा सिलेबस से ही प्रश्न पूछे जायेंगे जबकि आधे की परीक्षा सम्बंधित स्कूल ही लेंगी तथा वही अंक प्रदान करेंगे |इस तरह से विद्यार्थी तो केवल आधे परीक्षा के लिए पढंगे जो बोर्ड लेंगी जबकि आधे के लिए वे निश्चित है क्योकि उसका अंक स्कूल देंगी तथा कोई भी स्कूल नहीं चाहेंगी की उसका विद्यार्थी कम अंक लाये तथा फ़ैल हो |वह सभी को 95%से ज्यादा अंक देंगी |
                                                                दूसरी बात दूसरी छमाही की परीक्षा जो बोर्ड लेंगी उससे केवल 60% अंक ही जुटेगा जबकि 40% अंक पहले के प्राप्तांक से दिए जायंगे और सभी स्कूल अपने विद्यार्थी को पूरा पूरा अंक दे देंगी तो कोई विद्यार्थी फ़ैल होगा ही नहीं तथा उसके पढने की प्रवर्ति भी कम होंगी क्योकि वह तो सिर्फ 20% पढ़ कर ही फर्स्ट क्लास पास हो सकता है |इस तरह विद्यार्थी का पढ़ाई से रूचि ख़तम होते जायेंगी |
                                                             अतः हमारे मंत्री जी को चाहिए की वह केवल जो सोच रहे वही सिर्फ नहीं सोचे बल्कि इसको भी सोचे की क्या इस तरह से विद्यार्थी पढना नहीं छोड़ देगा क्योकि वह तो सिर्फ  स्कूल राजनीती में पकड़ बना कर ही तो पास हो सकते है |

हमारे माननीय भ्रष्टाचारी जी

हमारे नेताजी की क्या कहने |हमारे नेताजी भ्रष्टाचार की खान है जिसके जेब में भ्रष्टाचार ऐसे समाये है जेसे अंबानी के बैंक अकाउंट में पैसे | यदि ये भ्रष्टाचार की पोटली खोलना शुरू कर दे तो इससे निकला भ्रष्टाचार दुनिया के सभी भ्रष्टाचारियों के भ्रष्टाचार से ज्यदा होंगी |
                                     इस देश में सिर्फ नेता ही भ्रष्टाचारी नहीं है नेताओं के चमचे तो भ्रष्टाचारी में उनसे कही आगे है लेकिन गिने तो उसी में जाएगें क्योकि है तो उसी के फूल-पत्ती|
                                     यहाँ भ्रष्टाचार उपर से नीचे तक फैला हुआ है यानि सर से लेकर पाँव तक |जब सर पर भ्रष्टाचार बैठा हो तो पाँव तो भ्रष्टाचार में ही रहेगा |
                                                                किसी महकमे या बिभाग को ले लीजिए बिना घूस दिए कम नहीं बनेगा -जैसे ब्लाक में छोटा काम करवाना हो तो चपरासी को पैसे दो उससे बड़ा काम करवाना हो तो किरानी को पैसे दो यदि इनसे भी बड़ा काम करवाना हो तो हमारे प्रखंड विकाश पदाधिकारी जी है इनसे संपर्क करे ले-दे कर सौदा पक्का करे और आसानी से काम करवा ले |आपका काम भी आसानी से हो जायगा इनको भी कुछ उपरी आमदनी हो जायगी |इस बारे में मैं अपना अनुभव सुनाता हूँ ----------
                                                                                    मुझे एक बार मेडिकल का फॉर्म भरने के लिए आवासीय की जरुरत पड़ी ,फॉर्म लिया तो पता चला की वार्ड सदस्य जी से हस्ताक्षर करवाना है पुरे दिन बीत गए महोदय को खोजने में तब कही जाकर रात के 8 बजे उनसे भेंट हुई |अगले दिन पंहुचा ब्लाक और फॉर्म जमा किया और पूछा की भैया कब दोगे तो जबाब मिला एक सप्ताह बाद ले जाना लेकिन हमें तो अगले ही दिन फॉर्म भेजना था तो सोचा अब क्या होगा |भ्रष्टाचार के किस्से तो खूब सुने थे सोचा की आजमाया जाय |उस चपरासी को अलग में बुलाकर कहा भैया 10  रुपैया ले लो लेकिन कल दे दो तो तो उसने कहा हम क्या करे साहब तो छुट्टी पार है |हमने कहा कुछ ज्यादा ले लो लेकिन कल दे दो बोला भैया सोचेंगे तो हम बोले की भैया ये लो 50 रूपया और हमें कल चाहिए तो कहता सुबह 10 बजे आकार ले जाइएगा | हम आवक की साहब रात में कहाँ मिलेंगे या फिर साहब 50 रूपया में मिलने लगे |खैर आवासीय बना और फॉर्म जमा किया |
                                                                     ये तो सिर्फ एक उदहारण है ऐसे उदहारण आपको जगह-जगह मिल जायेंगे |स्कूल में नामांकन करवाना हो,कोई प्रमाण पत्र निकलना हो पैसे दोगो तो तुरंत वरना सप्ताह बाद |ट्रेन में टिकट कन्फर्म कराना हो तो टी. टी. को पैसे दो टिकट कन्फर्म |परीक्षा में ज्यादा नंबर चाहिए तो परीक्षक को पैसे दो ज्यादा नंबर पाओ | नौकरी चाहिए तो पैसे दो नौकरी पाओ| आदि-आदि कई तरह के सजीव उदहारण हमें रोजाना मिलते है |
                                                                                                  अतः हमारे यहाँ भ्रष्टाचार एक व्यवसाय बन गया है इस व्यवसाय को फलने फूलने दिया जाय क्योकि इससे हमारा काम भी जल्दी होता है |अतः अपना काम जल्दी करवाने के लिए हमें भ्रष्टाचार में सहयोग करना चाहिए
                                          जय भ्रष्टाचार,जय भ्रष्टाचारी !

हमारी उंघती न्यायपालिका

हमारी न्यायपालिका अपने लेट-लतीफी के लिए मशहूर है यह तो जग जाहिर है |उदहारण के लिए गोधरा कांड,भागलपुर दंगा,अयोध्या मामला,और अब मुंबई आतंकवादी हमला |
                        गोधरा कांड का फैसला कोर्ट ने अभी तक नहीं दिया है |अभी तो  आरोपियो से पूछताछ ही चल रही है जबकि इस कांड को कई वर्ष बीत चुके है और अभी फैसले आने में कई साल लग जायेंगे |इस मामले में सी. बी.आई. की भूमिका भी कम खराब नहीं है| सी. बी. आई. ने अभी तक जांच पूरी नहीं की है| सी. बी. आई. जो की निष्पक्ष रूप से काम करने के लिए जानी जाती है लेकिन अब नहीं क्योकि अब सत्तासीन सरकार उसे अपने लिए उपयोग करती है|
                                          भागलपुर दंगे के फैसले आने में कई साल लग गए | सभी आरोपी जवानी से बुढ़ापे में प्रवेश कर गए और तब उन्हें जाकर सजा हुई|
अयोध्या मामले ने तो इसमे हद ही कर दी है जो मामला आजादी से पहले का है वह अभी तक नहीं सुलझा है कभी कोर्ट के जज बदल जाते है तो तारीख का बढ़ना तो आम बात है|
                                        मुंबई आतंकवादी हमले को तीन साल होने को चले है लकिन फैसला नहीं आया है |नीचली अदालत फैसला दी तो अपील गईं उपरी अदालत में शायद वहां भी चार पांच साल लगे और जब फैसला आये तो उसे भी सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी ही जायगी यह भी तय है अर्थात फैसले आने में अभी अभी हमें लगभग २० बर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ेगा | इतने बड़े आतंकवादी हमले का फैसला आने में इतनी देर शायद नहीं लगनी चाहिए |
                                           इस मामले में हमें अमेरिकी आदालत से सबक लेने चाहिए जो की वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर हुए हवाई हमले का फैसला साल भर के अंदर सुना दी वह भी तब जब उसके पास किसी के विरुद्ध कोई सुबूत तक नहीं था | लकिन हमारे पास सुबूत नहीं सुबूत का खजाना है |जिन्दा आतंकवादी,हमले की वीडियो फुटेज,हाथ में बन्दुक लिए कसाब की फोटो इत्यादी |इतने सुबूत के बाबजूद हमारी अदालत को फैसला सुनाने में १०-१५ साल लग जाये यह आश्यर्चजनक है|
                                    अत: हमारी अदालत को चाहिए की वह फैसले सुनाने में देर न करे |किसी भी मामले के फैसले को कम से कम समय में दे और यह सब सी. बी. आई. की रिपोर्ट पर भी निर्भर करती है की वह कितनी जल्दी कम करती है | वह तो भ्रष्ट नेताओ के हाथ में है फिर भी अदालत सी. बी.आई. को जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए तो कह ही सकती हैं क्योकि की वही तो है जिस पर सबकी आस्था टिकी होती है वो जितनी जल्दी और तेजी से काम करेगी लोगों की आस्था उतनी बढेंगी |
             कहा भी गया है
                            Justice delayed is justice denied   अर्थात
                             न्याय में देरी न्याय नहीं मिलने के बराबर है|
                              

हमारी नपुंसक सरकार


लगता है की हमारी सरकार  की नपुंसक हो गई है| यह बात बहुत सारे उदाहरण से पता चलता  है| जिस नक्सली के प्रति हमारी सरकार इतनी उदारता से पेश आ रही है उसे "हमारे अपने" (भटके हुए युवा) बता रही है वही इतनी बर्बरता ए़व बेरहमी पूर्वक हमारी पुलिश के जवानो को मौत के घाट उतार रही है| वह बेगुनाह जनता जो रेलों में सफर करती है उसने क्या बिगारा है की वह कभी रेल को उड़ा देते तो कभी पटरी को उड़ा कार बड़ी घटना को अंजाम देते है|  ये नक्सली हमारी आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गए है| इसमें एक तरह से हमारी सरकार के माननीय मंत्री सब की भी मिलीभगत है| जब कभी सरकार सी सख्ती दिखाने का प्रत्यन करती है तो हमारी माननीय रेल मंत्री जी को लगता है की सरकार उसे ही हटाने के लिए योजना बनाने लगी है.और वह हो-हल्ला शुरू कार देती है की नक्सली के खिलाफ पुलिश का प्रयोग बंद हो अदि-अदि|शायद ममता दीदी नक्सली के सहयोग से ही बंगाल में सरकार बनाना चाहती है तभी तो लालगढ़ में नक्सलीयों से लोहा ले रहे जवानो के खिलाफ वह रैली निकालती है |हमारी सरकार नक्सलियों को बड़ा खतरा बताती है जबकि उसी के सहयोगी सशत्र बल के खिलाफ सडको पर रैलियां करती है |लगता है की सरकार को सिर्फ बात बनाना ही आता है जिस प्रकार वह ममता बनर्जी के प्रति असहाय नजर आती है |यह नपुंसको के लिये शोभनीय है|यह सरकार अपने सहयोगी से जब नहीं निपट सकती तो यह नक्सलियों से कैसे निपटेंगी|

                      दूसरा उदहारण यह है की हाल में ही कुछ दिन पहले सरकार की नगरी यानि उसकी नाक के नीचे दिल्ली में एक सम्मलेन आयोजित किया गया बिषय था आजादी एक मात्र रास्ता में कट्टरपंथी नेता सैयद साह गिलानी का विचार गौर करने लायक था| उसी सम्मलेन में भारत की जानी मानी लेखिका अरुंधती राय के भी विचार बड़े अच्छे थे| इन दोनों का एक ही मत था कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है यानि उसे पाकिस्तान और चीन के लिए छोड़ दिया जाय|वह कश्मीर जिसकी आत्मा भारत में बसती है|कुछ कमीने टाइप के नेताओ के कारन भारत की अखंडता पर आच आ सकती है|आज सिर्फ पाकिस्तान ही कह रहा है की कश्मीर हमारा है बाद में पूरा विश्व कहने लगेगा क्योकि जब कुछ भारतीय ही यह कह रहे है तो शायद सही हो| क्या सरकार इन पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं चला सकती जिनको जो मन में आये वह वही बोलने लगे | क्या यही हमारी संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में यही कहा है की आप राष्ट्र विरोधी बयान देने के लिए स्वतंत्र है|नहीं यह नहीं कहा गया है
|जब यह सरकार चुपचाप इनके भाषण को सुनती रही तो इनसे नपुंसकता वाला कम क्या होगा|
                    तीसरा उदहारण यह है की हमारी सरकार एक पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब की सेवा में प्रतिदिन लाखोँ रूपये खर्च करती है|क्या यह जायज है |यह पैसा बर्बाद नहीं किया जा रहा है |जब सारी दुनिया उसे पाकस्तानी आतंकवादी मान चुकी है तो उसे क्यों नहीं फंसी पर लटका दिया जाता है |बेकार का झंझट भी खतम होगा |उसे 10-20 साल की कैद की सजा देकर क्या होगा |यदि फांसी भी होगी तो राष्ट्रपति के पास अर्जी लगाकर चुपचाप बचा रहेगा |कसाब ने तो कभी पुलिसवालों के साथ हाथापाई की तो कभी टी. भी. कैमरे पर थूक दिया आब वह भारतीय न्यापालिका पर ही संदेह जाहिर करता है |आब वह अपना मामला अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाना चाहता है|सरकार की होशियारी देखिये एक आतंकवादी के लिए इतना खर्च उपर से उसके लिए वकील वाह रे हमारी सरकार |
                       अत: अब भी हमारी सरकार को चाहिए की वह नक्सलीयों तथा आतंकवादी के खिलाफ कठोर करवाई करे तथा इसे धरातल पर उतारने के लिए अपने सहयोगी पर लगाम कसने होंगे आन्यथा वही होगी ढाक के तीन  पात हमारी नपुंसक सरकार |